tag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.comments2023-05-22T01:01:42.643-07:00धर्म की बातrahulhttp://www.blogger.com/profile/02830995282887388068noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-90040091741699679192012-03-04T23:30:57.278-08:002012-03-04T23:30:57.278-08:00Good work.Good work.Viralhttps://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-71398914954556303412011-09-06T04:07:35.343-07:002011-09-06T04:07:35.343-07:00बहुत ही सुन्दर विचार हैं. मुझे लगता है कृष्णावतार ...बहुत ही सुन्दर विचार हैं. मुझे लगता है कृष्णावतार में जो कृष्ण की महत्ता बताई गई है वो सारी हदों को पार कर गई है. ऐसा लगता है की उस युग में कृष्ण को छोड़ कर सारे लोग पापी ही थे. जहाँ तक मैं मानता हूँ की कृष्ण ने अपने पुरे जीवनकाल में शायद ही कोई ऐसा कार्य किया हो जो विशुद्ध आदर्श हो. बड़ा ही अच्छा लेख पढने को मिला. धन्यवाद्.धर्म संसारhttps://www.blogger.com/profile/17834417490592325731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-66846777942679125012011-07-04T18:32:07.786-07:002011-07-04T18:32:07.786-07:00प्रारंभिक स्कूल का विद्यार्थी भी जानता है सूर्य वह...प्रारंभिक स्कूल का विद्यार्थी भी जानता है सूर्य वहीं खडा है वेदों में सूर्य को रथ पर सवार होकर चलने वाला कहा गया है<br />SURYA AKASHGANGA KA CHHAKAR LAGATA HAI AUR PRARAMBHIK SCHOOL KA BACHHA BHI JANTA HAI KI SURYA BHI GHUMTA HAI <br />AAP PAHLE AAPNA KHAGOLIYA GYAN SUDHARE FIR LIKHEJAI BHARAThttps://www.blogger.com/profile/13266656851628666785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-22539490872939963482011-07-01T03:19:19.583-07:002011-07-01T03:19:19.583-07:00shrimaan rahul,aap ne senao ke ekatra hone par jo ...shrimaan rahul,aap ne senao ke ekatra hone par jo prashna uthaae hain jaise itni sena kurukshetra mein nahi sama sakti to aapki jaankari ke liye main bata doon ki aap mahabharatkaleen kurukshetra ki vartmaan kurukshetra se tulna nhi kar sakte kyunki bhoogol samay aur kaalkhand ke saath badalta hai.jahaan kuchh sthaan samay ke saath vistrat hote hain wahin anya sikudte jaate hain. tatkaleen kurukshetra poore punjab ,haryana,uttar pradesh,m.p. aur rajasthan ko samete hue tha.iss tarah itne vistrat sthaan me 18 akshouhini senaao ka samahit hona aur ladna koi anokhee baat nahi hai aur poori tarah tarkik hai.PARV MALIKhttps://www.blogger.com/profile/04341331701766356524noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-55723103969942184502011-06-01T11:22:23.800-07:002011-06-01T11:22:23.800-07:00matralab itni gandi niti hai vivah ki chiiiimatralab itni gandi niti hai vivah ki chiiiiirshad ahmadhttps://www.blogger.com/profile/05355272800143828432noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-1686523489122396812011-06-01T11:13:29.996-07:002011-06-01T11:13:29.996-07:00bhot badhiya jankari mere bhai sukriya aap ka alla...bhot badhiya jankari mere bhai sukriya aap ka allah aap ke ilm me barkat deirshad ahmadhttps://www.blogger.com/profile/05355272800143828432noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-19775986277878741862011-06-01T11:03:10.591-07:002011-06-01T11:03:10.591-07:00satya gautam ji kitna bhana aur kitna kahaniya bna...satya gautam ji kitna bhana aur kitna kahaniya bnaiye ga aap logo ke kisi bhi bato ka koi thos pramad nahi milta hai aap kah rahe hai ki siv ji aughad the mgr aao ko yad diladu aughad logo ko din aur duniya se koi matalab nahi hota hai wo bina pariwar ke hote hai aur aisa abhitak koi pramad nahi mila hai ki siv ji aughad the abhi aap aughd kah rahe hai koi aur se puchne par kuch aur uttar milega q ki koi ,unlogo ka koi thos prmad nahi mila hai aur nahi milega q ki aap ki sare kitabo me ferbal ki ja chuki haiirshad ahmadhttps://www.blogger.com/profile/05355272800143828432noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-76291328200163524792011-03-20T18:58:58.740-07:002011-03-20T18:58:58.740-07:00आपके ब्लॉग पर शांति बनी रहे इसके लिए शुभकामनाएँ.आपके ब्लॉग पर शांति बनी रहे इसके लिए शुभकामनाएँ.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-38337828339440380582010-11-03T03:42:12.739-07:002010-11-03T03:42:12.739-07:00हे इन्द्रदेवङ अपनी माया द्वारा आपने 'शुष्ण&#...हे इन्द्रदेवङ अपनी माया द्वारा आपने 'शुष्ण' (एक राक्षस) को पराजित किया, जो बुद्धिमान् आपकी इस माया को जानते हैं, उन्हें यश और बल देकर वृद्धि प्रदान करें 7<br />http://www.vedpuran.com/brahma.asp?bookid=24&secid=1&pageno=0001&Ved=Y<br /><br />देखो अदल बदल कर वेदों में विज्ञान कैसे घुस जाएगा<br />http://www.aryasamaj.org/newsite/node/1347<br /><br />मायाभिरिन्द्र मायिनं त्वं शुष्णमवातिरः | <br />विदुष्टे तस्य मेधिरास्तेषां श्रवांस्युत्तिर ||7|| <br />ऋग्वेद 1|11|7||<br /><br />पदार्थ -<br /><br />हे परमैश्वर्य को प्राप्त कराने तथा शत्रुओं की निवृत्ति करानेवाले शूरवीर मनुष्य !<br />त्वम्.............तू उत्तम बुद्धि सेना तथा शरीर के बल से युक्त हो के<br />मायाभिः..........विशेश बुद्धि के व्यवहारों से<br />शुष्णम्...........जो धर्मात्मा सज्जनों का चित्त व्याकुल करने<br />मायिनम्.........दुर्बुद्धि दुःख देनेवाला सब का शत्रु मनुष्य है, उसका<br />अवातिर..........पराजय किया कर,<br />तस्य.............उसके मारने में<br />मेधिराः...........जो शास्त्रों को जानने तथा दुष्टों को मारने में अति प्रवीण मनुष्य हैं, वे<br />ते.................तेरे सङ्गम से सुखी और अन्नादि पदार्थों को प्राप्त हों,<br />तेषाम्............उन धर्मात्मा पुरुषों के सहाय से शत्रुओं के बलों को<br />उत्तिर.............अच्छी प्रकार निवारण कर ||7||<br /><br />बुद्धिमान मनुष्यों को ईश्वर आज्ञा देता है कि - साम, दाम, दण्ड और भेद की युक्ति से दुष्ट और शत्रु जनों की निवृत्ति करके विद्या और चक्रवर्ति राज्य की यथावत् उन्नति करनी चाहिये तथा जैसे इस संसार में कपटी, छली और दुष्ट पुरुष वृद्धि को न प्राप्त हों, वैसा उपाय निरन्तर करना चाहिये ||7||वेदों में अलग अलग तरह का विज्ञानhttp://www.usislam.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-49528028633415708752010-07-21T02:23:09.237-07:002010-07-21T02:23:09.237-07:00वास्तुशास्त्र जातिवाद की दलदल
घर बनाना शुरू करन...वास्तुशास्त्र जातिवाद की दलदल<br /><br />घर बनाना शुरू करने से पहले वास्तुशास्त्र के अनुसार नियमों का पालन करना चाहिए, 'समरांगण सूत्रधार वास्तुशास्त्र' में महाराजा भोजदेव ने लिखा है कि शुद्रों के लिए 3 तल वाला भ्ावन कल्याणकारी होता है, इस से बढ कर यदि शुद्र का भवन होगा तो उस के कुल का नाश हो जाएगा<br />'सार्ध त्रिभूमिशूद्राणां<br />वेश्म कुर्याद् विभूतये,<br />अतोधिकतरं यत् स्यात्<br />तत्करोति कुलक्षयम'<br /> ('समरांगण सूत्र 35/ 21)<br /><br />वह भूमि ब्रह्मण के लिए शुभ शुभ है जिस के उत्तर में ढलान हो, जो मधुर हो, जिस से घी की महक आए, जिस पर कुशा नामक घास उगी हो तथा जिस का रंग सफेद हो,<br />वह भूमि क्षत्रिय के लिए शुभ है, जिस के पूर्व में ढलान हो, जिस का स्वाद कसैला हो, जिस से खून की बू आए, जिस पर शरपत (सरकंडा) उगा हो तथा जिस का रंग लाल हो,<br />वह भूमि वैश्य के लिए शुभ है, जिस के दक्षिण में ढलान हो, जिस का स्वाद तीखा (खट्टा) हो, जिस से अन्न की महक आती हो, जिस पर दूब उगी हो तथा जिस का रंग पीला हो,<br />वह भूमि शुद्र के लिए शुभ है, जिस के पश्चिम में ढलान हो, स्वाद कटु (कडवा) हो, जिस से मद्य (शराब) की गंध आती हो, जिस पर काश नामक घास उगी हो तथा जिस का रंग काला हो,<br /><br />और<br />शिल्प शास्त्र में कहा गया है'<br />क्षारगंधा भवेत् वैश्या,<br />शुद्रा च पुरीषगंधजा (शिल्पशास्त्रम, 1/6)<br /> अर्थात क्षार (खटटे पदार्थ) की गंध वाली भूमि वैश्य के लिए शुभ होती है और पुरीष (टट्टी, मल) की गंध वाली भूमि शद्र के लिए शुभ होती है<br /><br /><br />घर की लंबाई, चौडाई जाति अनुसार होनी चाहिए, ब्रह्मणों के घरों की लंबाई, चौडाई से 10 अंश अधिक हो, क्षत्रिय के घर की लंबाई चौडाई से 8 अंश अधिक, वैश्य की 6 अंश और शुद्र की 4 अंश अधिक होः<br />'दशांशयुक्तो विस्तारा-<br />दायामो विप्रवेश्मनाम्,<br />अष्टषट्चतुरंशाढय<br />क्षत्रादित्रयवेश्मनाम्'satya gautamnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-10137452083891165692010-05-24T10:12:15.240-07:002010-05-24T10:12:15.240-07:00औघड़ मत का पूजा विधान
औघड़ मत में भैरवी चक्र नाम का...औघड़ मत का पूजा विधान <br />औघड़ मत में भैरवी चक्र नाम का एक पर्व होता है , जिसमें एक पुरूष को नंगा करके उसके लिंग की स्त्रियां पूजा करती हैं और दूसरे स्थान पर एक स्त्री को नंगा खड़ा कर पुरूषों द्वारा उसकी भग अर्थात योनि की पूजा की जाती है ।<br /> - सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 11 , पृष्ठ 192 , डिमाई साईज़ @ डायमंड प्रेस , अग्नि पुराण , पृष्ठ 41<br />शिवजी ओघड़ थे<br />1- ब्रह्मा जी शिवजी के पास गये और बोले - ‘‘हे ओघड़‘‘ ।<br /> - साधना प्रेस हरिवंश पुराण पृष्ठ 140 <br />2- सूत जी ने कहा - शंकर जी ‘‘ओघड़‘‘ हैं ।<br />- डायमंड प्रेस ब्रह्माण्ड पुराण पृष्ठ 39@साधना प्रेस स्कन्ध पुराण पृष्ठ 19 <br />शिवजी का भेष <br />1- मुण्डों की माला धारण करते हैं । <br /> - पद्म पुराण , खण्ड 1 , श्लोक 179 , पृष्ठ 324 <br />शिवजी का निवास <br />1- शिवजी श्मशान घाट में रहते हैं ।<br /> - डायमंड प्रेस वाराह पुराण पृष्ठ 160<br />शिवजी का आहार <br />1- शिवजी कहते हैं कि - ‘‘मैं हज़ारों घड़े शराब , सैकड़ों प्रकार के मांस से भी - ‘‘लिंग-भगामृत‘‘ के बिना सन्तुष्ट नहीं होता‘‘ । - वेंकेटेश्वर प्रेस कुलार्णव तन्त्र उल्लास पृष्ठ 47<br />2- शिव जी अभक्ष्य पदार्थों का भक्षण करते हैं । - ठाकुर प्रेस शिव पुराण तृतीय पार्वती खण्ड अध्याय 27 पृष्ठ 235<br />शिवलिंग पर चढ़ाई गई वस्तुओं का निषेध <br />1- सभी लोग लिंग पर चढ़ाई गई वस्तुओं का निषेध करते हैं । -गीता प्रेस ,शिव पुराण , पृष्ठ 69, श्लोक 14<br />2- शिवलिंग पर चढ़ाई गई वस्तुएं ग्रहण करना शास्त्र सम्मत नहीं है । <br />3- शिव जी को आहुति देने वाले अपवित्र हो जाएंगे । -डायमंड प्रेस , ब्रह्माण्ड पुराण , पृष्ठ 22 , श्लोक 110<br /><br />शिवजी के सम्बंध में पुराणों की बातें <br />1- शिव लोक की कल्पना करना अज्ञानी और मूढ़ पुरूषों का काम है । -कला प्रेस , सर्व सिद्धान्त संग्रह, पृष्ठ 13<br />2- जो लोग शिव को संसार की रक्षा करने वाला मानते हैं , वे कुछ भी नहीं जानते हैं । -देवी भागवत पुराण, खण्ड 1, श्लोक 6, पृष्ठ 13<br />3- जैसे कलि युग का प्रचार होगा वैसे ही शिव मत का प्रचार बढ़ेगा । -सूर्य पुराण, श्लोक 54, पृष्ठ 162<br /><br />शिवजी सन्ध्या करते थे <br />सूत जी बोले - शिव जी सन्ध्या करते हैं । -पद्म पुराण खण्ड 1, श्लोक 201, पृष्ठ 328 <br />शिवाजी की पत्नी का नाम ‘पार्वती‘ है । -ठाकुर प्रेस,शिव पुराण , तृतीय पार्वती खण्ड , अध्याय 5 , पृष्ठ 275 <br /><br />पार्वती के अनेक नाम <br />काली , कालिका , कामाख्या , भद्रकाली , उमा , भगवती , अम्बा , चण्डिका , चामुण्डा , विजया , मुण्डा , जया , जयन्ती , आदि ‘पार्वती‘ के ही नाम हैं । -ठाकुर प्रेस, शिव पुराण, द्वितीय, रूद्र संहिता, पृष्ठ 128 <br />काली की उत्पत्ति <br />1- रूद्र की जटा से काली उत्पन्न हो गई । -गीता प्रेस,<br />शिव पुराण,रूद्र संहिता, पृष्ठ 151<br />2- नारायण की हड्डियों से काली उत्पन्न हो गई । -डायमण्ड प्रेस मार्कण्डेय पुराण पृष्ठ 108 <br />काली का आहार <br />1- काली सैकडों-लक्ष अर्थात लाखों हाथियों को मुख में रखकर चबाने लगी । -ठाकुर प्रेस, शिव पुराण पंचम युद्ध खण्ड अध्याय 37 पृष्ठ 371<br />2- अम्बिका मदिरा अर्थात ‘ाराब पीती थी । -संस्कृति संस्थान , वामन पुराण , खण्ड 12 , ‘लोक 37 , पृष्ठ 250<br />3- काली की जीभ से कन्या पैदा हो गई । -देवी भागवत , खण्ड 2, ‘लोक 36, पृष्ठ 248<br />‘शिवलिंग और पार्वतीभगपूजा ?‘ का एक अंश <br />लेखक : सत्यान्वेषी नारायण मुनि , स्थान व पोस्ट - सिकटा जिला - पश्चिमी चम्पारण , बिहार <br />प्रकाशक : अमर स्वामी प्रकाशन विभाग , 1058 विवेकानन्द नगर , गाजियाबाद - 201001 <br />मूल्य : 5 रूपये मात्रJani Dushmanhttp://www.janidushman.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-73963508548076420122010-05-24T10:08:19.940-07:002010-05-24T10:08:19.940-07:00शिवलिंग और पार्वतीभग की पूजा की उत्पत्ति
पुराणों ...शिवलिंग और पार्वतीभग की पूजा की उत्पत्ति <br />पुराणों में इसकी उत्पत्ति की कथाएं विभिन्न स्थानों पर विभिन्न रूपों में लिखी हुई मिलती हैं , देखिये हम यहां कुछ उदाहरण उन पुराणों से पेश करते हैं , यथा<br />1- दारू नाम का एक वन था , वहां के निवासियों की स्त्रियां उस वन में लकड़ी लेने गईं , महादेव शंकर जी नंगे कामियों की भांति वहां उन स्त्रियों के पास पहुंच गये ।<br />यह देखकर कुछ स्त्रियां व्याकुल हो अपने-अपने आश्रमों में वापिस लौट आईं , परन्तु कुछ स्त्रियां उन्हें आलिंगन करने लगीं ।<br />उसी समय वहां ऋषि लोग आ गये , महादेव जी को नंगी स्थिति में देखकर कहने लगे कि -<br />‘‘हे वेद मार्ग को लुप्त करने वाले तुम इस वेद विरूद्ध काम को क्यों करते हो ?‘‘<br />यह सुन शिवजी ने कुछ न कहा , तब ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया कि - ‘‘तुम्हारा यह लिंग कटकर पृथ्वी पर गिर पड़े‘‘<br />उनके ऐसा कहते ही शिवजी का लिंग कट कर भूमि पर गिर पड़ा और आगे खड़ा हो अग्नि के समान जलने लगा , वह पृथ्वी पर जहां कहीं भी जाता जलता ही जाता था जिसके कारण सम्पूर्ण आकाश , पाताल और स्वर्गलोक में त्राहिमाम् मच गया , यह देख ऋषियों को बहुत दुख हुआ । <br />इस स्थिति से निपटने के लिए ऋषि लोग ब्रह्मा जी के पास गये , उन्हें नमस्ते कर सब वृतान्त कहा , तब - ब्रह्मा जी ने कहा - आप लोग शिव के पास जाइये , शिवजी ने इन ऋषियों को अपनी शरण में आता हुआ देखकर बोले - हे ऋषि लोगों ! आप लोग पार्वती जी की शरण में जाइये । इस ज्योतिर्लिंग को पार्वती के सिवाय अन्य कोई धारण नहीं कर सकता । <br />यह सुनकर ऋषियों ने पार्वती की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया , तब पार्वती ने उन ऋषियों की आराधना से प्रसन्न होकर उस ज्योतिर्लिंग को अपनी योनि में धारण किया । तभी से ज्योतिर्लिंग पूजा तीनों लोकों में प्रसिद्ध हुई तथा उसी समय से शिवलिंग व पार्वतीभग की प्रतिमा या मूर्ति का प्रचलन इस संसार में पूजा के रूप में प्रचलित हुआ । <br />- ठाकुर प्रेस शिव पुराण चतुर्थ कोटि रूद्र संहिता अध्याय 12 पृष्ठ 511 से 513 <br /><br />2- शिवजी दारू वन में नग्न ही घूम रहे थे , वहां के ऋषियों ने अपनी-अपनी कुटियाओं को पत्नी विहीन देखकर शिवजी से कहा - आपने इन हमारी पत्नियों का अपहरण क्यों किया ? इस पर शिवजी मौन धारण किये रहे , तब ऋषियों ने उनके लिंग को खण्डित होने का श्राप दे डाला , जिससे उनका लिंग कटकर भूमि पर आ पड़ा और अत्यन्त तेजी से सातों पाताल और अंतरिक्ष की ओर बढ़ने लगा , क्षण भर में देखते ही देखते सारा आकाश और पाताल लिंगमय हो गया । - साधना प्रेस स्कन्द पुराण पृष्ठ 15<br /><br />3- शिवजी एकदम नंग धड़ंग रूप में ही भिक्षा मांगने के लिए ऋषियों के आश्रम में चले गये , वहां उनके इस देवेश्वर रूप को देखकर ऋषि पत्नियां उन पर मोहित हो गईं और उनकी जंघाओं से लिपट गईं ।<br />यह दृश्य देख ऋषियों ने शिवजी के लिंग पर काष्ठ और पत्थरों से प्रहार किया , लिंग के पतित हो जाने पर शिवजी कैलाश पर्वत पर चले गये । <br />- वामनपुराण खण्ड 1 श्लोक 58,68,70,72,पृष्ठ 412 से 413 तक <br /><br />4- सूत जी ने बताया कि दारू नाम के वन में मुनि लोग तपस्या कर रहे थे , शिवजी नग्न हो वहां पहुंच गये और कामदेव को पैदा करने वाले मुस्कान-गान कर नारियों में कामवासना वृद्धि कर दी ।<br />यहां तक कि वृद्ध महिलाएं भी भूविलास करने लगीं , अपनी पत्नियों को ऐसा करते देख मुनियों ने शिव को कठोर वचन कहे । - डायमंड प्रेस , लिंग पुराण पृष्ठ 43 <br /><br />शिवजी की उत्पत्ति <br />1- शिवजी स्वयं उत्पन्न हुए । <br /> - गीता प्रेस शिवपुराण विन्धयेश्वर संहिता पृष्ठ 57 <br />2- शिवजी , विष्णु जी की नासिका के मध्य से उत्पन्न हुए । <br /> - ठाकुर प्रेस शिव पुराण द्वितीय रूद्र संहिता अध्याय 15 पृष्ठ 126 <br />3- शिव का जन्म विष्णु के शिर से माना जाता है । <br /> - डायमंड प्रेस ब्रह्म पुराण पृष्ठ 141<br />4- शिवजी ब्रह्मा के आंसुओं से प्रकट हुए । <br /> - डायमंड प्रेस कूर्म पुराण पृष्ठ 26Jani Dushmanhttp://www.janidushman.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-11710607255539495252010-05-13T11:42:05.373-07:002010-05-13T11:42:05.373-07:00हर जाति के लिए विवाह का रूप भी अलगअलग हो, ऐसा धर्म...हर जाति के लिए विवाह का रूप भी अलगअलग हो, ऐसा धर्मशास्त्रीय आदेश है, कहा है (मनु. 3/21, 23-24)<br />ब्राह्मो दैवस्तथैवार्ष प्राजापत्यस्तथा सुरः<br />गांधर्वो राक्षश्चैव पैशाचश्चस्टामे धम.........राक्षसं क्षत्रियस्यैकमासुरं वैश्यशुर्दयोः<br /><br />अर्थात<br />आठ प्रकार के विवाह हैं <br />1. ब्राह्मा<br />2. दैव, <br />3. आर्ष, <br />4. प्राजापत्य, <br />5. आसुर (धन से लडकी खरीदना), <br />6. गांधर्व(अपने तौर पर छिप कर यौन संबंध स्थापित करना), <br />7. राक्षस(लडकी के घर वालों पर हमला कर के लडकी उठा लाना) <br />और <br />8. पैशाच(सोई हुई या बेहोश लडकी से मैथुन करना) - <br /><br />ब्राह्मण के लिये पहले छ हैं<br />क्षत्रिय के लिये अन्तिम चार<br />वैश्य और शूद्र के लिये तीन विवाहों का विधान है<br /><br />उनमें श्रैष्ठ विवाह ब्राह्मण के लिये छ मे पहले चार<br />क्षत्रिय के लिय 'राक्षस'<br />वैश्य और शुद्र के लिए 'आसुर' विवाह श्रेष्ठ हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-14248429709795106622010-05-11T05:12:30.304-07:002010-05-11T05:12:30.304-07:00युद्ध स्थल : प्रचारित मान्यता के अनुसार महाभारत यु...युद्ध स्थल : प्रचारित मान्यता के अनुसार महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ जो मुझे सही प्रतीत नहीं हुआ. इस बारे में मैंने कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय के इतिहास और इंडोलोजी विभाग के विद्वानों के मत जानने चाहे जिनके अनुसार कुरुक्षेत्र में की गयी अनेक खुदाइयों पर भी उस क्षेत्र में युद्ध के कोई प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं. मेरे द्वारा सरस्वती नदी के मार्ग और अवशेषों के अन्वेषण हेतु की गयी पदयात्राओं के दौरान मुझे अजमेर रेलवे स्टेशन के लगभग २ किलोमीटर उत्तर में उपस्थित जलधारा के दूसरे किनारे पर एक विशाल मैदान दिखाई दिया. वस्तुतः यह जलधारा ही सरस्वती नदी का एक अवशेष है. इस मैदान में महाबारत युद्ध क्षेत्र के अनेक लक्षण उपलब्ध हैं, विशेषकर युद्ध का अवलोकन करने का स्थान जो एक समीपस्थ पर्वत शिखर पर बना है. इस बारे में अभी अनुसंधान चल रहा है, विशेषकर महाभारत ग्रन्थ में इस स्थान के सन्दर्भ के बारे में. <br /><br />http://bhaarat-tab-se-ab-tak.blogspot.com/2010/05/blog-post_10.htmlदेवसूफी राम कु० बंसलhttp://bhaarat-tab-se-ab-tak.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-41498124022096375922010-05-08T22:50:50.994-07:002010-05-08T22:50:50.994-07:00राहुल जी सबसे पहले तो आप बधाई के पात्र्र है,क्योकि...राहुल जी सबसे पहले तो आप बधाई के पात्र्र है,क्योकि आपकी जानकारी बहुत ही अच्छी है,,और अपने इतिहास की जानकारी हर एक होनी ही चाहिए,तो राहुल जी आपके प्रशन भी काफी हद तक ठीक है..और आपके प्रशनो के उत्तर भी आपके प्रशन ही है.युद्द 18 दिन तक चला तो आप एक बात बताइए क्या इतनी सेना हर रोज़ इकठी लडती थी ,नहीं रोज़ 4 से 5 योद्दा ही लड़ते थे और कई योद्दा तो लड़ते-2 युद सीमा से बहार भी निकल जाया करते थे ,कुरूक्षेत्र की लाल मिटी आज भी पुकार के कह रही है की उसका रंग लाल नहीं है वो उन शूरवीरो के खून से लाल हुई है जिनके खून की यहाँ कभी नदिया बही थी,बाक्की का बाद मैं अभी थोडा जल्दी मैं हु ..रामकुमार बसोलां वाले ,,,,,lovely kankarwalhttps://www.blogger.com/profile/10551015361892852703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-49630666728070910712010-03-31T20:54:15.400-07:002010-03-31T20:54:15.400-07:00[b]राज्ञो महानसे पूर्व रन्तिदेवस्य वै द्विज
द्वे ...[b]राज्ञो महानसे पूर्व रन्तिदेवस्य वै द्विज<br />द्वे सहस्रे तु वध्येते पशूनामन्वहं तदा<br />अहन्यहनि वध्येते द्वे सहस्रे गवां तथा<br />समांसं ददतो ह्रान्नं रन्तिदेवस्य नित्यशः<br />अतुला कीर्तिरभवन्नृप्स्य द्विजसत्तम ---- महाभारत, वनपर्व 208 199/8-10[/b]<br /><br />आपने उपरोक्त श्लोक जो व्याख्या की है, क्या उसके सही होने का कोई सबूत है आपके पास?<br /><br />क्या आपने उसपर गहन अध्यन किया है? क्योंकि बिना गहन अध्यन के कुछ भी कहना मेरे विचार से सही नहीं है.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-23364933451240699782010-03-28T08:10:27.100-07:002010-03-28T08:10:27.100-07:00yahi baat yahan bhi bade blogger ne kahi he:
.......yahi baat yahan bhi bade blogger ne kahi he:<br /><br />.......महाराज दुष्यंत और शकुन्तला के इस पुत्र का नाम भरत था। बाद में वे भरत महान प्रतापी सम्राट बने और उन्हीं के नाम पर हमारे देश का नाम भारतवर्ष हुआ।<br />इति कथाः। <br />क्या यह गंधर्व विवाह "लिव-इन-रिलेशनशिप" नहीं है? यदि है, तो उसे कोसा क्यों जा रहा है? आखिर हमारे देश का नाम उसी संबंध से उत्पन्न व्यक्ति के नाम पर पड़ा है। कैसे कहा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति को 'लिव-इन-रिलेशनशिप' से खतरा है?.....<br /><br /><br />दुष्यंत और शंकुन्तला के बीच कौन सा संबंध था? <br />महाभारत<br />http://anvarat.blogspot.com/2010/03/blog-post_28.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-88802102004967440412010-03-02T20:58:42.320-08:002010-03-02T20:58:42.320-08:00agar prithvi kaap rahi hoti to tu prithvi par khad...agar prithvi kaap rahi hoti to tu prithvi par khada bhi nahi ho sakte tha. aur वेदों में सूर्य को रथ पर सवार होकर चलने वाला कहा गया है na ki khumana wala jabki kuran mai prithvi ko chapati bataya gaya hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-37634653076057164112010-02-26T10:58:29.315-08:002010-02-26T10:58:29.315-08:00ठीक मित्र गाय का दूध गो मूत्र गो की
हर चीज को ह...ठीक मित्र गाय का दूध गो मूत्र गो की <br /> हर चीज को हिन्दू पवित्र मानते हैं <br /> क्या गो का दूध गो मांस नही हे <br /> जो आज हिन्दू की रसोई में दुर्लभ <br /> होता जारहा है <br /> समझे या नहीगीता की बोलीhttps://www.blogger.com/profile/05183788383554082886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-86869851481425385752010-02-17T02:58:34.052-08:002010-02-17T02:58:34.052-08:00kulu bhai,,,diye link par baten padho phir kaho,,
...kulu bhai,,,diye link par baten padho phir kaho,,<br /><br />jis maan ka mene doodh piya na to use men KHoonte se baandhoonga,,,na use kisi ke paas Hari karwane yani gayabhan karwane le jaoonga jese gaye ko le jate hen.<br /><br />link par jaoo baten padho phir dekhna wapas nahin aaogerahulhttps://www.blogger.com/profile/02830995282887388068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-54964196554096724232010-02-17T02:55:23.560-08:002010-02-17T02:55:23.560-08:00KULU bhaie qasbe DEOBAND ka naam suna he..agar nag...KULU bhaie qasbe DEOBAND ka naam suna he..agar nagron ke naam saboot hen to deoband men saare deo band hen.rahulhttps://www.blogger.com/profile/02830995282887388068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-84925141682119776452010-02-15T03:24:34.933-08:002010-02-15T03:24:34.933-08:00प्राचीन भारत में गोहत्य एवं गोमांसाहार- nahi hota...प्राचीन भारत में गोहत्य एवं गोमांसाहार- nahi hota tha yeh kawal tumahra bhram hai koi rishi maas nahi kahta tha pustuk likhna wal pagal hai. kya tum apani maa ka dood pita ho to kya tum ushka mans bhi kha sakta ho. socho phir kahnakulunoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-83123537675242392672010-02-15T03:20:23.432-08:002010-02-15T03:20:23.432-08:00TUM KYA KHANA CHA RAHAI HO KI MAHABHART KA UATH NA...TUM KYA KHANA CHA RAHAI HO KI MAHABHART KA UATH NAHI HUHA HAI. कुरूक्षेत्र का मैदान HI PROOF HAI KI WAR HUA HAIKULUnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-10048780020880470462010-02-06T07:18:55.742-08:002010-02-06T07:18:55.742-08:00vedo ki jay ho. thanks brothervedo ki jay ho. thanks brotherram rayhttps://www.blogger.com/profile/12137448985430947095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753106267261220582.post-11277339361815260882010-01-28T04:38:38.102-08:002010-01-28T04:38:38.102-08:00राहुल भाई, आप मेरे ब्लॉग पर आये और "भारत रत्न...राहुल भाई, आप मेरे ब्लॉग पर आये और "भारत रत्न" सम्बन्धी टिप्पणी की उसके लिये धन्यवाद… <br />जरा अपनी बात खुलकर कहते तो बात आगे बढ़ती… वैसे आपके पिछले दोनों लेख पढ़कर आपके बारे में कोई विचार बनाना मुश्किल है, फ़िर भी सावरकर अथवा मुखर्जी के बारे में कोई तथ्यपरक बात लिखें या फ़िर जो लेख मैंने लिखा है उसमें गाँधी परिवार (कांग्रेस) के बारे में जो लिखा है उसके बारे में अपने तर्क प्रस्तुत करें… ऐसे एक लाइन की हवाई बात करने से मजा नहीं आता भाई… <br />मेरे ब्लॉग पर बहस में आपका स्वागत है… समस्त शुभकामनाओं सहित…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com